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तंबू से शहर तक

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इब्रानियों 11:9,10 विश्वास ही से उस ने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रह कर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया। 10 क्योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है।

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तंबू से शहर तक


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सबसे बड़ी गलतियों में से एक जो आप और मैं कर सकते हैं, वो यह कल्पना करना है कि परमेश्वर की योजनाएँ हमारे चारों ओर, हमारे आराम और सुविधा के लिए हैं। क्योंकि उसकी योजनाएँ हमसे बहुत बड़ी हैं।

मैं कुछ महीने पहले अपने एक किसान मित्र से बात कर रहा था, जिसकी संपत्ति अब तक की सबसे बुरी बाढ़ में डूब गई थी। जिस दिन बाढ़ चरम पर थी उसी दिन हमने बात की थी और उन्होंने मुझसे कहा था कि उनके विचार में, हम जो गलती करते हैं वह यह है कि हम बाढ़ के खिलाफ प्रार्थना करते हैं, बजाय इसके कि हम परमेश्वर की इच्छा और उन अवसरों की तलाश करें जो वह हमारे सामने रख रहे हैं। 

उस पल में उसके लिए कितना शक्तिशाली, विश्वास से भरा अवलोकन। मुझे पता चला, कि वह अपने पड़ोसी की मदद कर रहा था, जिसकी डेयरी में पानी भर गया था, वह अपनी 600 गायों को दिन में दो बार दुहने में भी मदद कर रहा था। वह अपने इलाके में अपने उपकरणों से आपातकालीन सेवाओं की भी मदद कर रहा था। यहाँ तक कि वह क्रिसमस की सुबह जल्दी ही अपनी छोटी नाव में सवार होकर बाढ़ वाली नदी के दूसरी ओर से पादरी को लेने के लिए चला गया, ताकि वे अपनी क्रिसमस दिवस की सभा कर सकें।

बाइबल मे इब्राहीम को ले लीजिए :

इब्रानियों 11:9,10 इब्राहीम उस देश में रहा जिसे परमेश्वर ने उसे देने का वचन दिया था। वह वहां एक परदेशी की तरह रहता था । उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे विश्वास था। वह इसहाक और याकूब के साथ तम्बुओं में रहने लगा, जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे । इब्राहीम उस नगर की प्रतीक्षा कर रहा था जिसकी नींव वास्तविक है। वह उस नगर की प्रतीक्षा कर रहा था जिसकी योजना और निर्माण परमेश्वर ने किया है।

इब्राहीम वादा किए गए देश की पच्चीस साल की एक अनिश्चित और असुविधाजनक यात्रा पर गया था, लेकिन सदियों बाद यरूशलेम को वहाँ बनते देखने के लिए भी वह जीवित नहीं रहा।

परमेश्वर की योजनाएँ आपके इर्द-गिर्द नहीं घूमतीं।

यह उसका ताज़ा वचन है। आज आपके लिए..।


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