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बस एक और

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मरकुस 2:4,5 परन्तु जब वे भीड़ के कारण उसके निकट न पंहुच सके, तो उन्होंने उस छत को जिस के नीचे वह था, खोल दिया और जब उसे उधेड़ चुके, तो उस खाट को जिस पर झोले का मारा हुआ पड़ा था, लटका दिया। यीशु ने, उन का विश्वास देखकर, उस झोले के मारे हुए से कहा; हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।

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मैं नियम-आधारित धर्म के माहौल में पला-बढ़ा हूं। मेरे लिए, ऐसा महसूस होता था कि यीशु का अनुसरण करने का मतलब 24 घंटे नियमों का पालन करना है । मुझे संदेह है कि आज भी, बहुत सारे लोग इसे इसी तरह देखते हैं। लेकिन परमेश्वर के मन में यह बिल्कुल नहीं है?

यीशु के बारे में मुझे जो बात सबसे ज्यादा पसंद है उनमें से एक यह है कि वह नियमों के पालन पर जोर नहीं देता । निश्चित रूप से, उसने परमेश्वर के प्रति हमारी प्रेम प्रतिक्रिया के बारे में बहुत सारी बातें कीं हैं और यह कि हमें जीने के तरीके को कैसे बदलना चाहिए, लेकिन इसका पालन करने के लिए कठोर नियमों का एक पुलंदा नहीं था।

मुझे लगता है कि हम इंसानों में परमेश्वर की अच्छी बातों को लेकर उन्हें नियमों में बदलने की प्रवृत्ति हो सकती है। धर्म और नियम साथ साथ चलते हैं। लेकिन मुझे यकीन है कि परमेश्वर के मन में कभी नहीं था ।

कुछ लोगों ने उपवास के बारे में एक दिन यीशु को चुनौती दी।

मरकुस 2:18,19 यूहन्ना के चेले, और फरीसी उपवास करते थे; सो उन्होंने आकर उस से यह कहा; कि यूहन्ना के चेले और फरीसियों के चेले क्यों उपवास रखते हैं? परन्तु तेरे चेले उपवास नहीं रखते। 

दूसरे शब्दों में, वे पूछ रहे थे, “आपके लोग बाकी सभी की तरह धार्मिक नियमों का पालन क्यों नहीं करते ?” यह एक अनुचित प्रश्न नहीं है।

मरकुस 2:19 यीशु ने उन से कहा, जब तक दुल्हा बरातियों के साथ रहता है क्या वे उपवास कर सकते हैं? सो जब तक दूल्हा उन के साथ है, तब तक वे उपवास नहीं कर सकते।

क्या आप जानते हैं कि इससे परमेश्वर यह बताता है? कि  नियमों से बड़कर परमेश्वर हमसे रिश्ते का आनंद चाहता है। और मजेदार बात यह है कि हम जितना अधिक उसका आनंद लेते हैं, उतना ही हम उसके लिए अपना जीवन जीना चाहते हैं। मुझे कभी-कभी आश्चर्य होता है कि क्या धार्मिक नियम इस बात को पूरी तरह से भूल जाते हैं, जिसे परमेश्वर अनुग्रह कहते हैं ।

यही उसका ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।


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