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दुर्गम अवसर

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निर्गमन 33:12,13 और मूसा ने यहोवा से कहा, सुन तू मुझ से कहता है, कि इन लोगों को ले चल; परन्तु यह नहीं बताया कि तू मेरे संग किस को भेजेगा। तौभी तू ने कहा है, कि तेरा नाम मेरे चित्त में बसा है, और तुझ पर मेरे अनुग्रह की दृष्टि है। 13 और अब यदि मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो, तो मुझे अपनी गति समझा दे, जिस से जब मैं तेरा ज्ञान पाऊं तब तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे। फिर इसकी भी सुधि कर कि यह जाति तेरी प्रजा है।

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दुर्गम अवसर


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मसीही कभी-कभी कुछ बेवकूफी भरी बातें कहते हैं। गंभीरता से। जैसे, “ईश्वर आपको कभी भी ऐसा कुछ भी करने के लिए नहीं बुलाता है जो आप करने में सक्षम नहीं हैं।” सचमुच? वे किस ग्रह पर रह रहे हैं, कृपया बताएं।

मुझे वह दिन याद है जब परमेश्वर ने मुझे लाखों लोगों के सामने मसीह का प्रचार करने के लिए बुलाया था। एक अतिथि उपदेशक शहर में था। सभागार में हजारों लोग थे।

मेरा जीवन एक गड़बड़ का जीवन था। मेरी उम्मीदें और सपने फर्श पर गिर कर बिखर गए। फिर भी मैंने चारों ओर भीड़ को देखा, और अपने दिल में मैंने कहा, “काश मैं इतने लोगों को यीशु के बारे में बता पाता।”

और एक घंटी की तरह स्पष्ट, मैंने अपने दिल मे फुसफुसाहट का शब्द सुना , “यह तो कुछ भी नहीं है। लाखों के बारे मे सोचो। अब, मेरे लिए यह सादा पागलपन था। क्या परमेश्वर मेरे सामने कोई अवसर रख रहा था? यदि ऐसा है, तो यह एक दुर्गम अवसर था। लेकिन बाद मे मुझे यह पता चला है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है।

निर्गमन 33:12,13 और मूसा ने यहोवा से कहा, सुन तू मुझ से कहता है, कि इन लोगों को ले चल; परन्तु यह नहीं बताया कि तू मेरे संग किस को भेजेगा। तौभी तू ने कहा है, कि तेरा नाम मेरे चित्त में बसा है, और तुझ पर मेरे अनुग्रह की दृष्टि है। 13 और अब यदि मुझ पर तेरे अनुग्रह की दृष्टि हो, तो मुझे अपनी गति समझा दे, जिस से जब मैं तेरा ज्ञान पाऊं तब तेरे अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर बनी रहे। फिर इसकी भी सुधि कर कि यह जाति तेरी प्रजा है।

मूसा को इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि वह किस प्रकार इस्राएल को मिस्र से निकालकर प्रतिज्ञा किए हुए देश में ले जाएगा। लेकिन तब, यदि परमेश्वर हमारे सामने जो अवसर रखता है वह दुर्गम नहीं होता, यदि हम उन्हें अपनी शक्ति से करने में सक्षम होते, तो हमें उसकी आवश्यकता नहीं होती।

यह उसका ताज़ा वचन है। आज  आपके लिए… ।