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भ्रमित करने वाली बुद्धि

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1 कुरिन्थियों 1:20,21 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?
21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।

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भ्रमित करने वाली बुद्धि


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हममें से अधिकांश लोग यह सोचना चाहेंगे कि हमारे कंधों पर एक बहुत ही समझदार सिर है; कि हम परिस्थितियों को देख कर तर्क वितर्क करने में सक्षम हैं; और हम तथ्यों की जांच करने और सही निष्कर्ष निकालने की काबलियत रखते हैं।

यह वही आधार है, कि हम सभी के पास सही गलत पहचानने की बुद्धि है, और इसी आधार पर पश्चिमी देशों में न्याय के लिए जूरी का चुनाव किया जाता है। ज्यादातर मामलों में चुने गए बारह सामान्य पुरुष और महिलाएं अदालत कक्ष के एक किनारे पर बैठते हैं, आरोपी और बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों को सुनते हैं, और आपस में तर्क वितर्क के बाद अपराध या निर्दोषता का फैसला सुना देते हैं।

कुछ लोग अपने क्षेत्र में विशेषज्ञ, महान विचारक भी होते हैं – दार्शनिक, प्रोफेसर, वकील। लेकिन समय-समय उनके और हमारे तर्क मेल नहीं खाते:

1 कुरिन्थियों 1:20,21 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?
21 क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।

कल हमने देखा की क्रूस की कथा नाश होने वालों के लिए मूर्खता है। आपके और मेरे जैसे लोगों को हमारी असफलताओं से बचाने के लिए, परमेश्वर ने यीशु को मरने के लिए क्यों भेज दिया… हमें दोषी ठहराने और हमें उसकी सजा देने के बजाय यीशु ने मर्त्यु क्यों सही? आख़िरकार, दुनिया ऐसे ही चलती है? दोषी को सज़ा मिलनी चाहिए। 

उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह आपसे शब्दों से कहीं अधिक प्यार करता है। इस सच्चाई को जानें, उसे जियें, उसमें सांस लें। वह आपसे हर उस चीज से ज्यादा प्यार करता है जिसकी आप कभी कल्पना भी नहीं कर सकते, तब भी जब आप मार्ग से भटक जाते हैं।

यह मूर्खता नहीं है।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए……