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“उस दिन” के इंतज़ार में

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2 पतरस 3:12,13 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे।
13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी॥
14 .

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“उस दिन” के इंतज़ार में


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क्या मैं आपसे पूछ सकता हूं, क्या आप इस धरती पर अपने समय के अंत की प्रतीक्षा कर रहे हैं? हम में से अधिकांश नहीं और कुछ हद तक ऐसा ही होना चाहिए। लेकिन अगर आप यीशु में विश्वास करते हैं, तो यह वास्तव में यह इंतजार की बात है ।

यह थोड़ा अजीब लगता है, है ना? लेकिन मुझे अपने मित्र कि बात याद है जो अपने जीवन को समाप्त करने वाला था लेकिन उसने अंतिम समय मे अपना विचार बदल लिया और वह दूसरों से भी कहता है कि कभी भी ऐसा न करें क्योंकि उस समय, उसे कोई उम्मीद नहीं थी। और वह एक और दिन भी जीने की कल्पना नहीं कर सकता था, लेकिन उस बात को सत्ताईस साल बीत चुके हैं  क्योंकि परमेश्वर उस जगह पर थे, और उन्होंने उसे एक ऐसा भविष्य दिया जिसकी यह  कभी कल्पना भी नहीं कर सकता था।

उसने आपके लिए भी एक अद्भुत जीवन की योजना बनाई है। कोई गलती न करें । मसीह में हमेशा आशा है। लेकिन यह एक ऐसी आशा है जो उस समय से भी आगे तक है जब वह अपनी इच्छा से, हमें अपने घर बुलाता है।

2 पतरस 3:12,13 और परमेश्वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे।
13 पर उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धामिर्कता वास करेगी॥ 

अनंत काल इसे सही परिप्रेक्ष्य में रखता है। यीशु पर भरोसा करने वालों के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में अनंत काल की तुलना में पृथ्वी पर हमारा समय समुद्र में एक बूंद से भी कम है।

बिल्कुल, हमें वह भरपूर जीवन जीना चाहिए जो यीशु हमें देने आए थे। लेकिन हमें परमेश्वर के दिन की भी प्रतीक्षा करनी चाहिए, और यह बहुत ज्यादा जल्दी आएगा 

यह उसका ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए..


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