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आगे असफल होना सीखना

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नीतिवचन 24:17,18 जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। कहीं ऐसा न हो कि यहोवा यह देख कर अप्रसन्न हो और अपना क्रोध उस पर से हटा ले॥

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आगे असफल होना सीखना


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मुझे नहीं लगता कि हम में से कोई भी सुबह उठता है और कुछ गलत करने के लिए निकल पड़ता है। हम यह सोचकर बिस्तर से नहीं उठते, “कि आज मैं क्या गलतियाँ कर सकता हूँ?” और फिर भी, निश्चित रूप से, हम गलतियाँ करते हैं।

एक संगठन का हिस्सा होने से बुरा कुछ नहीं है – चाहे वह कार्यस्थल हो, सामाजिक समूह हो और हाँ, यहाँ तक कि एक परिवार भी हो – जहाँ एक दोष-देने वाली संस्कृति होती है।

जिस क्षण कोई लाइन से हट जाता है, जिस क्षण कोई कम पड़ जाता है, जिस क्षण कोई छोटी से छोटी विफलताओं में भी शामिल होता है, जो शायद उनकी गलती भी नहीं थी – चाकू निकल आते हैं।

दोषारोपण का खेल उन बुरी चीजों के बारे में है जिनका हम कभी भी हिस्सा बन सकते हैं। यह न केवल संबंधित व्यक्ति बल्कि बाकी लोगों को भी, हमारे पास मौजूद क्षमता को कम करता है, और सबसे बड़कर यह वास्तव में, परमेश्वर की नाक में भी दम कर देता है:

नीतिवचन 24:17,18  जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। कहीं ऐसा न हो कि यहोवा यह देख कर अप्रसन्न हो

एक विकल्प है। कभी-कभी ज़रूर मैं विफलता के लिए ज़िम्मेदार होता हूँ और कभी-कभी आपकी बारी हो सकती है। लेकिन जिस क्षण हम दोष देना बंद कर देते हैं और सीखना शुरू कर देते हैं … हम एक साथ जो कर रहे हैं वह दोष-की  संस्कृति को एक ऐसी संस्कृति से बदल देती है जो कहती है, “अरे, अगर हम असफल होने जा रहे हैं, तो असफलता से आगे हो जाएं। आइए अपनी गलतियों से सीखें। आइए क्षमा मांगे  और यदि आवश्यक हो तो क्षमा करें, और एक साथ आगे बढ़ें और उस विशेष मार्ग पर फिर से न जाएं। और सबसे बढ़कर, हम एक दूसरे को दुश्मन न बनाएं क्योंकि हम में से एक असफल रहा।

जब तेरा शत्रु गिर जाए तब तू आनन्दित न हो, और जब वह ठोकर खाए, तब तेरा मन मगन न हो। कहीं ऐसा न हो कि यहोवा यह देख कर अप्रसन्न हो

यदि आप असफल होते हैं तो उससे कुछ सीखें ।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए.।