... helping you be all that God made you to be, because He plans on shining His light into this world through you.

Berni - ceo, Christianityworks

संदेश वाहक को गोली मत मारो

We're glad you like it!

Enjoying the content? You can save this to your favorites by logging in to your account.

Register or Login

Add to Favourites

Romans 15:4 धर्मग्रन्‍थ में जो कुछ पहले लिखा गया था, वह हमारी शिक्षा के लिए लिखा गया था, ताकि हमें उस से धैर्य तथा सांत्‍वना मिलती रहे और इस प्रकार हम अपनी आशा बनाये रख सकें।

Listen to the radio broadcast of

संदेश वाहक को गोली मत मारो


Download audio file

यह विचार इन दिनों काफी लोकप्रिय है कि बाइबल एक पुरानी, ​​धार्मिक पुस्तक है जो एक अलग युग से संबंधित है। यहाँ तक कि इसके आलोचकों में परमेश्वर के अपने लोग भी हैं, वे लोग जो यीशु में विश्वास करने का दावा करते हैं।

पूरी तरह से ईमानदारी से सोचें तो कुछ चीजें जो आप बाइबल में पढ़ते हैं वे आज कम प्रासंगिक लगती हैं, इसके के मुकाबले कि शायद जब वे लिखी गई थीं – एक अलग संस्कृति में, एक अलग समय में।

इसलिए कुछ लोगों के लिए बाइबल को आज काफी हद तक अप्रासंगिक मानकर खारिज कर देना बहुत आसान है। महिलाओं की भूमिका बदल गई है। इन दिनों वे आराम से बैठ कर गपशप करने वाली चीज़  नहीं हैं। वे शिक्षित और कई मामलों में, उच्च शिक्षित, प्रभावी नेता हैं जिनके पास देने के लिए बहुत कुछ है। तो, पतियों और पत्नियों के बारे में बाइबल जो कहती है उस पर हम विश्वास कैसे कर सकते हैं?

हम इन दिनों शरीर क्रिया के मनोविज्ञान और शारीरिक विज्ञान के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। इस विशेष विषय पर बाइबल जो कहती है उस पर हम विश्वास कैसे कर सकते हैं? और ऐसे ही हमारी सोच चलती रहती है।

लेकिन हम जो गलती करते हैं, वह यह है कि हम सोचते हैं कि आज की तुलना में परमेश्वर का वचन उस समय अधिक लोकप्रिय था जब वह  लिखा गया था। लेकिन यह सच  नहीं है। इस्राएलियों ने एक के बाद एक भविष्यद्वक्ताओं  को नकारा और उन्हें  मार डाला। यहाँ तक कि उन्होंने परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह को सूली पर चढ़ा दिया क्योंकि उन्हें वह सब पसंद नहीं था जो वे कहते थे। नहीं, इस में कोई भी नई बात  नहीं है। परमेश्वर का वचन कभी भी लोकप्रिय नहीं रहा है।

रोमियों 15:4 धर्मग्रन्‍थ में जो कुछ पहले लिखा गया था, वह हमारी शिक्षा के लिए लिखा गया था, ताकि हमें उस से धैर्य तथा सांत्‍वना मिलती रहे और इस प्रकार हम अपनी आशा बनाये रख सकें।

लेकिन जब परमेश्वर बोलता है, तो वह हमारे फायदे के लिए बोलता है। उन दिनों में जो कुछ लिखा गया था वह हमारी शिक्षा के लिए, हमारे लाभ के लिए लिखा गया था, ताकि हम परमेश्वर कि आंखों से चीजों को देख सकें। तो सवाल यह है कि क्या हम परमेश्वर के दूत को मार डालेंगे या परमेश्वर की सुनेंगे?

वह उसका वचन है। ताजा….आज.. .. आपके लिए ।


We use cookies to improve your browsing experience, analyse site traffic & personalise content, but we do not track you when you leave this site. To find out how we utilise & protect your data, check out our "Privacy Policy".

Privacy Policy

Sorry, no video available

Due to the 2020 COVID-19 situation there’s no video for this program. Enjoy the audio & text and remember, there’s lots more in the Media Lounge. Thank you for your understanding.

Visit the Media Lounge